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Arijit Singh – Nashe Si Chadh Gayi lyrics
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
ऐसे खेंचे दिल के पेंचे
गले ही पड़ गयी ओये
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
ओ उड़ती पतंग जैसे
मस्त मलंग जैसे
मस्ती सी चढ़ गयी
हमको तू रात ऐसे लगती करंट जैसे
निकला हो वारंट जैसे
अभी अभी उतरा हो
नेट से टोरेंट जैसे
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
खुलती बसंत जैसे
धुलता कलंक जैसे
दिल की दरार में हो प्यार का सीमेंट जैसे
अखियों ही अखियों में जंग की फ्रंट जैसे
मिल जाए सदियों से अटका रिफंड जैसे
जुबां पे चढ़ गयी ओये
कुड़ी जुबां पे चढ़ गयी
लहू में बढ़ गयी ओये
कुड़ी लहू में बढ़ गयी
कमली कहानियों सी
जंगली जवानियों सी
जमती पिघलती है
पल-पल पानियों से
बहती रावानियों सी
हस्ती शैतानियों सी
चढ़ गयी हम पे बड़ी मेहेर्बनियों से
ऐसे खेंचे दिल के पेंचे
गले ही पड़ गयी ओये
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
कनिया ओ कट्टे कड़ी
पन्निया ओ टप्पे कड़ी
दिल दे चौराहे लंग्दी ऐ
हसी कड़े थत्ते कड़ी
गलियों ओह नप्पे कड़ी
हंस के कलेजा मंगदी ऐ
नशे सी चढ़ गयी ओये
पतंग सी लड़ गयी ओये
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
ऐसे खेंचे दिल के पेंचे
गले ही पड़ गयी ओये
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
ओ उड़ती पतंग जैसे
मस्त मलंग जैसे
मस्ती सी चढ़ गयी
हमको तू रात ऐसे लगती करंट जैसे
निकला हो वारंट जैसे
अभी अभी उतरा हो
नेट से टोरेंट जैसे
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
खुलती बसंत जैसे
धुलता कलंक जैसे
दिल की दरार में हो प्यार का सीमेंट जैसे
अखियों ही अखियों में जंग की फ्रंट जैसे
मिल जाए सदियों से अटका रिफंड जैसे
जुबां पे चढ़ गयी ओये
कुड़ी जुबां पे चढ़ गयी
लहू में बढ़ गयी ओये
कुड़ी लहू में बढ़ गयी
कमली कहानियों सी
जंगली जवानियों सी
जमती पिघलती है
पल-पल पानियों से
बहती रावानियों सी
हस्ती शैतानियों सी
चढ़ गयी हम पे बड़ी मेहेर्बनियों से
ऐसे खेंचे दिल के पेंचे
गले ही पड़ गयी ओये
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी नशे सी चढ़ गयी
पतंग सी लड़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
कनिया ओ कट्टे कड़ी
पन्निया ओ टप्पे कड़ी
दिल दे चौराहे लंग्दी ऐ
हसी कड़े थत्ते कड़ी
गलियों ओह नप्पे कड़ी
हंस के कलेजा मंगदी ऐ
नशे सी चढ़ गयी ओये
पतंग सी लड़ गयी ओये
नशे सी चढ़ गयी ओये
कुड़ी पतंग सी लड़ गयी
Lyrics taken from
/arijit_singh-nashe_si_chadh_gayi-1575425.html